एमईआरआई कॉलेज ने पेश की शिक्षा और स्टार्ट-अप के लिए नई पहल

एमईआरआई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, जनकपुरी ने दिल्ली प्रेस क्लब में शिक्षा और स्टार्ट-अप हब पर आधारित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में एमईआरआई सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज (सीआईएस), स्टार्ट-अप हब और संस्थान के पाठ्यक्रमों पर चर्चा की गई।
शिक्षा और संस्कृति का वैश्विक जुड़ाव
कॉन्फ्रेंस की शुरुआत करते हुए एमईआरआई ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट प्रो. ललित अग्रवाल ने संस्थान के तीन दशकों के शैक्षणिक सफर को रेखांकित किया। उन्होंने कहा:
“एमईआरआई ग्रुप वैश्विक स्तर पर शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। एमईआरआई सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज छात्रों को सांस्कृतिक और वैचारिक दृष्टिकोण से समृद्ध करने का प्रयास कर रहा है।”
युवाओं को स्वरोजगार के लिए तैयार करने की पहल
एमईआरआई स्टार्ट-अप हब की चर्चा करते हुए प्रो. अग्रवाल ने बताया कि यह हब छात्रों को आत्मनिर्भर बनने और रोजगार सृजन के लिए तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा:
“हम छात्रों को रिसर्च और इनोवेशन में भागीदारी देकर उन्हें नई सोच विकसित करने में मदद कर रहे हैं।”
अनूठी योजनाओं का परिचय
सीआईएस के प्रमुख प्रो. रमाकांत द्विवेदी ने बताया कि यह केंद्र छात्रों को विभिन्न देशों की वर्तमान परिस्थितियों और वैश्विक मुद्दों की जानकारी प्रदान करेगा। स्टार्ट-अप हब के प्रमुख श्री लव अग्रवाल ने कहा:
“यह पहल युवाओं को आत्मविश्वास और उद्यमशीलता कौशल के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।”
प्रैक्टिकल शिक्षा पर जोर
कॉन्फ्रेंस में कॉलेज की डीन प्रो. दीपशिखा कालरा ने बताया कि संस्थान प्रैक्टिकल शिक्षा को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा:
“हम छात्रों को रिसर्च, केस स्टडी और इंडस्ट्रियल विजिट्स के माध्यम से रोजगार के लिए तैयार करते हैं।”
मीडिया छात्रों के लिए विशेष प्रशिक्षण
बीए (जेएमसी) कोर्स के प्रमुख डॉ. एस.के. पांडेय ने बताया कि मीडिया के छात्रों को “वन सब्जेक्ट, वन स्किल” मॉडल पर प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे वे अपने करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।
कार्यक्रम के अंत में सवाल-जवाब सत्र का आयोजन किया गया, जहां पत्रकारों ने एमईआरआई के पदाधिकारियों से संस्थान की पहलों पर सवाल किए। इस अवसर पर संस्थान के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और अध्यापक मौजूद रहे।
एमईआरआई की यह पहल छात्रों के भविष्य को मजबूत बनाने और वैश्विक स्तर पर उनकी पहचान स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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