राजस्थान में हुए बोरवेल हादसे ने उठाए सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
12 दिसंबर 2024 , नई दिल्ली
राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में बोरवेल में गिरे 5 साल के मासूम आर्यन की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है। करीब 56 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बुधवार रात 11:45 बजे आर्यन को बोरवेल से बाहर निकाला गया। उसे तुरंत एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बेटे की मौत की खबर सुनकर उसकी मां बेसुध होकर गिर पड़ी।
हादसा और रेस्क्यू ऑपरेशन
घटना 9 दिसंबर की दोपहर करीब 3 बजे की है, जब आर्यन अपनी मां के सामने घर से 100 फीट की दूरी पर स्थित खुले बोरवेल में गिर गया। स्थानीय प्रशासन और बचाव दल को सूचना मिलते ही सिविल डिफेंस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंची।
बचाव कार्य में पाइलिंग मशीन का इस्तेमाल कर बोरवेल के पास 125 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया, लेकिन मशीन की खराबी के कारण काम बाधित हुआ। दूसरी मशीन मंगवाकर गड्ढे को 150 फीट तक गहरा किया गया। इसके बाद आर्यन तक पहुंचने के लिए समानांतर सुरंग बनाने की कोशिश की गई, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका। आखिरकार दौसा कलेक्टर से अनुमति लेकर आर्यन को हुक के जरिए बाहर खींचा गया।
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ऑक्सीजन सप्लाई और निगरानी
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मेडिकल टीम बोरवेल में लगातार ऑक्सीजन पहुंचा रही थी। हालांकि, मंगलवार रात 2 बजे के बाद से आर्यन में कोई हलचल नहीं दिखी। इसके बावजूद बचाव दल ने हरसंभव कोशिश जारी रखी।
दुखद परिणाम
आर्यन को बाहर निकालने के तुरंत बाद दौसा अस्पताल ले जाया गया। वहां रात 12 बजे डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
हादसे से सबक
यह घटना खुले बोरवेल की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है। ऐसे हादसों को रोकने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। मासूम आर्यन की मौत ने एक बार फिर से इस मुद्दे की ओर ध्यान खींचा है।
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