कॉलेजियम प्रणाली के खात्मे और न्यायिक सुधारों की मांग को लेकर एनएलसी ने नई दिल्ली में आयोजित की प्रेस कॉन्फ्रेंस

कॉलेजियम प्रणाली के खात्मे और न्यायिक सुधारों की मांग को लेकर एनएलसी ने नई दिल्ली में आयोजित की प्रेस कॉन्फ्रेंस

न्यायिक अतिरेक और सुधार की जरूरत: एनएलसी ने कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की उठाई मांग

योग्यता आधारित न्यायिक नियुक्तियों का समर्थन

नई दिल्ली, 20 सितंबर 2024:

नेशनल लॉयर्स कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल ट्रांसपेरेंसी एंड रिफॉर्म्स (एनएलसी) ने आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें भारत की कॉलेजियम प्रणाली और इसके न्यायिक नियुक्तियों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम की शुरुआत एनएलसी के अध्यक्ष मैथ्यूज जे नेदुमपारा द्वारा की गई, जिसमें मुख्य रूप से न्यायिक सुधारों की जरूरत और कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। एनएलसी ने कॉलेजियम प्रणाली को भाई-भतीजावाद का जरिया बताते हुए कहा कि यह उच्च न्यायपालिका में योग्यता आधारित नियुक्तियों का गला घोंटता है। ये भी पढ़ें: ClubNPC ने किया ‘विकास 2024’ का ऐलान: कन्स्ट्रक्शन फील्ड में नई ऊंचाइयों की ओर एक बड़ा कदम

इस दौरान नेदुमपारा ने अपने संबोधन में कहा कि आज की न्यायपालिका “सुप्रीम विधायिका, सुप्रीम कार्यपालिका और सुप्रीम न्यायपालिका” बन गई है, जिसकी कल्पना देश के संस्थापकों ने कभी नहीं की थी।

उन्होंने पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) और कॉलेजियम प्रणाली के दुरुपयोग का जिक्र करते हुए कहा, “इससे न्यायपालिका ने अतिरेक किया है और हमारे लोकतंत्र में शक्ति का संतुलन बिगड़ गया है।” उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए 99वें संविधान संशोधन का भी हवाला दिया, जिसे पारदर्शी न्यायिक नियुक्ति प्रणाली लाने के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। ये भी पढ़ें: धौलपुर स्थित ग्लव्स फैक्ट्री पर पुलिस की रेड, स्वेअर हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर संजीव गौड़ गिरफ्तार

एनएलसी के उपाध्यक्ष डॉ. चित्तूर राजमन्नार ने कहा कि संस्था न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “कॉलेजियम प्रणाली ने ताकतवर और प्रभावशाली लोगों को न्यायपालिका में जगह दी है, जबकि योग्य उम्मीदवार, विशेषकर हाशिए पर खड़े तबकों के, नजरअंदाज किए जाते हैं। यह प्रणाली बदलनी चाहिए ताकि न्यायिक प्रणाली में लोगों का विश्वास बहाल हो सके।”

एनएलसी द्वारा हाल ही में दायर एक नई याचिका पर भी चर्चा हुई, जिसमें वर्तमान न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। नेदुमपारा ने पुष्टि की कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस मामले की सुनवाई करेगा। एनएलसी ने इस मुद्दे पर जन जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया और आशा जताई कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस वर्तमान न्यायिक ढांचे की खामियों को उजागर करेगी।

कार्यक्रम का समापन न्यायिक सुधारों के लिए सामूहिक अपील के साथ हुआ, जिसमें नेदुमपारा ने कहा, “हम न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता, योग्यता और निष्पक्षता लाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”

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