सुरेश पचौरी: कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शामिल, उन्हें गांधी परिवार के करीबी माना जाता है।
09 मार्च 2024
दोनों दल की चुनौती में एक नया मोड़ आया है, जब एक तरफ कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर बीजेपी को शिकस्त देने की तैयारी कर रही है, तो दूसरी तरफ पार्टी के अपने ही नेता उसका साथ छोड़ रहे हैं। महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा, बाबा सिद्दीकी, अशोक चव्हाण के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अब मध्यप्रदेश से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने पार्टी से अलग होकर बीजेपी का दामन थाम लिया है। जानकारी के मुताबिक, सुरेश पचौरी शनिवार 9 मार्च को बीजेपी में शामिल हुए। राजधानी भोपाल में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली। इस दौरान सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनका स्वागत किया। बताया जा रहा है कि पचौरी के साथ ही कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। इनमें अतुल शर्मा, कैलाश मिश्रा पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस, संजय शुक्ला, विशाल पटेल समेत तमाम बड़े नेता शामिल हैं। ये सभी सुरेश पचौरी के समर्थक माने जाते हैं।
बीजेपी में शामिल होने के बाद सुरेश पचौरी ने कहा कि जब वो राजनीति में आए थे तब उनका उद्देश्य समाज सेवा और राष्ट्र सेवा था। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में कांग्रेस की ये परंपरा रही कि हम एक कास्ट लेस (वर्ग विहीन) समाज की स्थापना करेंगे। एक नारा भी लगा था न जात पर न बाप पर, लेकिन आज वो नारा दरकिनार हो गया है। पार्टी आज जाति के आधार पर बात कर रही है।
सुरेश पचौरी को कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहा है। वे चार बार राज्यसभा सांसद और केंद्र में मंत्री के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है। सुरेश पचौरी ने 1972 में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। 1984 में वे राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष बने। पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकारों में वे मंत्री भी रहे। इस दौरान उन्होंने कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
दिलचस्प बात यह है कि सुरेश पचौरी ने आज तक कोई चुनाव नहीं जीता, इसके बावजूद उनकी गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में सिर्फ दो बार चुनाव लड़ा। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने भोपाल से चुनाव लड़ा था, जहां उनका मुकाबला बीजेपी की तेजतर्रार नेता उमा भारती से था। इस चुनाव में सुरेश पचौरी को करीब 1.6 लाख से ज्यादा वोटों से करारी शिकस्त मिली थी। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में भोजपुर से चुनाव लड़े, जहां उनका मुकाबला सुरेंद्र पटवा से था। इस चुनाव में भी सुरेश पचौरी को हार का सामना करना पड़ा।
उनके राजनीतिक सफर के दौरान, सुरेश पचौरी 1984 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए और 1990, 1996, और 2002 में फिर से राज्यसभा भेजे गए। वे रक्षा, कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन, और संसदीय मामलों के राज्यमंत्री भी रहे। 2008 से 2011 तक, पचौरी मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सुरेश पचौरी लोकसभा चुनाव के प्रभारी भी बनाए गए थे। वहीं, 2023 के चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं।
इस स्थिति में, सुरेश पचौरी का पार्टी से अलग होना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और पार्टी अपनी खोई हुई साख को दोबारा से वापस पाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इसके उलट, पार्टी के अपने ही नेता उसका साथ छोड़ रहे हैं। ऐसे में, पार्टी नेतृत्व के सामने अपने नेताओं को साथ रखना एक बड़ी चुनौती है।