कीमतें टूटीं पर टैक्स नहीं बदला, सोना खरीदना अब भी महंगा सौदा
GST सुधारों से मिडिल क्लास को राहत, उद्योग जगत ने कहा ऐतिहासिक कदम

4 September 2025
दिवाली से पहले केंद्र सरकार ने जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला लिया है। अब तक लागू चार टैक्स स्लैब को घटाकर केवल दो स्लैब रह गए हैं—5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। यानी 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को पूरी तरह हटा दिया गया है। सरकार का यह कदम सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर डालेगा क्योंकि अब कई रोज़मर्रा की चीजें पहले से सस्ती हो जाएंगी। नमक, पराठा और छोटी कारों से लेकर रसोई और घरेलू सामान तक पर टैक्स दरें कम कर दी गई हैं।
सोना और चांदी पर जीएसटी दरों को लेकर लोगों में खास उत्सुकता थी, लेकिन परिषद ने इन्हें अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। फिलहाल सोने और चांदी पर 3 प्रतिशत जीएसटी और आभूषण बनाने के शुल्क पर 5 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई ग्राहक 1 लाख रुपये का सोना या चांदी खरीदता है तो उसे करीब 3,000 रुपये टैक्स चुकाना पड़ेगा।
इससे पहले 3 सितंबर को सोने और चांदी के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। दिल्ली में सोना 1.07 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया था। हालांकि 4 सितंबर को इसमें गिरावट दर्ज की गई और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोना 1,239 रुपये घटकर 1,05,956 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। चांदी की कीमतों में भी कमी देखने को मिली।
जीएसटी दरों में कटौती का सबसे अधिक फायदा आम जनता को मिलेगा। परिषद ने पराठे पर कर दर को पूरी तरह खत्म कर दिया है, जबकि पहले इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता था। इसके अलावा मक्खन, घी, सूखे मेवे, पनीर, अंजीर, खजूर, एवोकाडो, नारियल पानी, नमकीन, कंडेंस्ड दूध, जैम, फलों की जेली, आइसक्रीम, बिस्कुट, कॉर्न फ्लेक्स और चीनी से बनी मिठाइयों पर कर घटाकर केवल 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे आम उपयोग के खाद्य पदार्थ और मिठाइयाँ त्योहारों के मौसम में लोगों की थाली तक कम कीमत पर पहुँचेंगी।
रसोई और घरेलू सामानों पर भी राहत दी गई है। दूध पाउडर, पैक दूध, बर्तन, साइकिल, बांस के फर्नीचर, छाते और कंघी जैसी रोज़मर्रा की चीजों पर कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। वहीं शैम्पू, साबुन, टूथपेस्ट, टूथब्रश, टैल्कम पाउडर और हेयर ऑयल जैसी वस्तुओं पर टैक्स 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
सरकार का यह बड़ा कदम त्योहारों के मौसम में न केवल मिडिल क्लास को राहत देगा बल्कि खपत को बढ़ावा देने, बाजार में मांग को तेज करने और अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने में भी मदद करेगा।