जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने किया उद्घाटन, वैज्ञानिक नवाचार की सराहना की
नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली में पुनर्जनन चिकित्सा और न्यूरोरेस्टोरेटोलॉजी पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई, जहां देश-विदेश के विशेषज्ञ अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
कार्यक्रम का उद्घाटन जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने किया। उन्होंने कहा कि भारत पुनर्जनन चिकित्सा के क्षेत्र में तेजी से विश्व नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। श्री ओराम ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करने की घोषणा की कि दिव्यांगों के लिए सेलुलर थेरपी को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाए ताकि यह उपचार अधिक रोगियों तक पहुंच सके।

स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने वीडियो संदेश में कहा कि “भारत पुनर्जनन चिकित्सा और स्टेम सेल थेरपी के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बन रहा है। ऐसे सम्मेलन न केवल ज्ञान और नीति का सेतु बनते हैं, बल्कि चिकित्सा नवाचारों को समाज तक पहुंचाने का माध्यम भी हैं।”
सेलुलर थेरपी और पुनर्जनन चिकित्सा पर फोकस
सम्मेलन का मुख्य विषय सेलुलर थेरपी है—एक ऐसी चिकित्सा पद्धति जो क्षतिग्रस्त ऊतकों को पुनर्जीवित कर रोगियों में कार्यात्मक सुधार लाती है। विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में 2.68 करोड़ से अधिक दिव्यांग नागरिकों के लिए यह तकनीक जीवन-परिवर्तनकारी साबित हो सकती है।
डॉ. अलोक शर्मा, सोसाइटी ऑफ रीजेनरेटिव साइंसेज की ओर से बोलते हुए, बोले—“हमारा लक्ष्य उन रोगियों को उपचार देना है जिनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। भारत इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी है और प्रधानमंत्री मोदी ने अनुसंधान और सहयोग को लगातार बढ़ावा दिया है। हम चाहते हैं कि सेलुलर थेरपी को आयुष्मान भारत के तहत शामिल किया जाए।”
IANR के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. होंग्युन हुआंग ने कहा कि “भारत पुनर्जनन चिकित्सा में चीन से भी अधिक प्रगति कर चुका है। हमारे अनुसंधान का उद्देश्य न्यूरोलॉजिकल कार्यों की बहाली और रोगियों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।”
सम्मेलन में अमेरिका, चीन, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना और हांगकांग सहित कई देशों के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। पहले दिन क्लिनिकल न्यूरोरेस्टोरेशन, स्टेम सेल हस्तक्षेप और नीति ढांचों पर चर्चाएं हुईं।
IANR ने डॉ. अलोक शर्मा को वर्ष 2025 के लिए अपना अध्यक्ष नामित किया।
सम्मेलन का दूसरा दिन (18 अक्टूबर) क्लिनिकल अनुवाद, नीति ढांचे और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित रहेगा।
