CARF: अब टैक्स फ्री क्रिप्टो का ज़माना गया — क्या आप तैयार हैं?

By Prateeksha Thakur | 08/05/2025 | Categories: व्यापार
CARF: अब टैक्स फ्री क्रिप्टो का ज़माना गया

नई दिल्ली, 8 मई 2025

पिछले कई वर्षों से विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंज भारत में टैक्स नियमों की अनदेखी करते हुए सक्रिय रहे हैं। इनका लाभ उठाते हुए कई भारतीय ट्रेडर्स 1% TDS और अन्य टैक्स देनदारियों से बचते रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स ने “नो टैक्स ट्रेडिंग” का झांसा देकर यूज़र्स को यह यकीन दिलाया कि वे टैक्स की ज़िम्मेदारी से बच सकते हैं। लेकिन अब यह भ्रम जल्द ही टूटने वाला है।

अगर आप भी अब तक यही सोचकर विदेशी एक्सचेंजों पर ट्रेड कर रहे थे कि टैक्स नहीं देना पड़ेगा, तो अब सच्चाई का सामना करने का समय आ गया है। भारत सरकार ऐसे सभी रास्तों को बंद कर रही है, जिससे टैक्स बचाना अब मुमकिन नहीं रहेगा — और ऐसा करने वालों को अब कानूनी और आर्थिक दोनों तरह की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

भारत सरकार जल्द ही क्रिप्टो एसेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (CARF) को लागू करने जा रही है, जिसके ज़रिए विदेशी एक्सचेंजों पर किए गए सभी क्रिप्टो लेन-देन टैक्स अधिकारियों की नज़र में आ जाएंगे। यानी अब यदि आपने टैक्स की जानकारी नहीं दी है, तो सिर्फ बकाया टैक्स ही नहीं, बल्कि भारी जुर्माना भी भरना पड़ेगा।

CARF क्या है और टैक्स विभाग को इससे क्या मिलेगा?

CARF एक वैश्विक रिपोर्टिंग सिस्टम है, जो Common Reporting Standard (CRS) की तर्ज पर काम करता है। इसके तहत, सदस्य देश क्रिप्टो लेन-देन से जुड़ा डेटा एक-दूसरे से साझा करेंगे ताकि टैक्स चोरी रोकी जा सके। अब तक 63 देश इसे अपनाने के लिए सहमत हो चुके हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर टैक्स निगरानी कहीं अधिक मज़बूत हो जाएगी। इसका सीधा असर:
• विदेशी एक्सचेंजों पर किया गया हर ट्रेड अब टैक्स विभाग की नज़र में रहेगा।
• जानकारी छुपाने पर सिर्फ टैक्स नहीं, बल्कि टैक्स की राशि से भी अधिक जुर्माना लगाया जा सकता है।
• टैक्स विभाग टैक्स चोरी करने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।

विदेशी एक्सचेंजों ने पहले भी नियम नहीं माने — अब क्यों मानेंगे?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इन विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा किया जा सकता है?
• जब इन्होंने स्पष्ट नियमों के बावजूद पहले TDS नहीं काटा, तो अब CARF जैसे वैश्विक नियमों का पालन कैसे करेंगे?
• जब उन्होंने कभी यूज़र्स को टैक्स से बचाने की ज़िम्मेदारी नहीं ली, तो अब क्यों लेंगे?
• क्या आप अपने पैसों और कानूनी स्थिति को ऐसे प्लेटफॉर्म पर दांव पर लगाना चाहेंगे जो भारत की नज़र में अनुपालनहीन हैं?

दूसरी तरफ, विदेशी प्लेटफॉर्म्स के उलट भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज लगातार टैक्स नियमों का पालन करते आ रहे हैं — वे हर लेन-देन पर TDS काटते हैं और रिपोर्टिंग के तय मानकों का पालन भी करते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को नियमों के दायरे में रहकर ट्रेड करने की सुविधा मिलती है। इसके विपरीत, विदेशी एक्सचेंजों की लगातार अनदेखी ने न केवल सरकार को करोड़ों के टैक्स राजस्व से वंचित किया है, बल्कि क्रिप्टो बाजार में स्वस्थ और बराबरी की प्रतिस्पर्धा को भी नुकसान पहुंचाया है। अब जब CARF जैसे सख्त नियम लागू होने जा रहे हैं, तो ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर ट्रेड करने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि टैक्स से बचने का जोखिम अब सिर्फ वित्तीय नहीं, कानूनी भी बनता जा रहा है।

अब भारत में टैक्स अनुपालन ज़रूरी

सरकार ने आयकर अधिनियम में बदलाव किए हैं, जिनके तहत अब नामित रिपोर्टिंग संस्थाओं को हर वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) लेन-देन की जानकारी टैक्स विभाग को देनी होगी।इसका प्रभाव:
• अगर आपकी क्रिप्टो आय की जानकारी छुपाई गई है और पकड़ी जाती है, तो उस पर 60% टैक्स और उस टैक्स पर 50% जुर्माना लगाया जा सकता है।
• जानबूझकर विदेशी एक्सचेंज के ज़रिए टैक्स से बचने वाले व्यक्तियों पर टैक्स विभाग जांच शुरू कर सकता है।
• जो एक्सचेंज भारतीय टैक्स नियमों का पालन नहीं करते, उन्हें भारत में प्रतिबंधित किया जा सकता है जब तक वे पंजीकरण न करवाएं और सभी नियमों का अनुपालन न करें।

मौजूदा कानून और प्रस्तावित आयकर विधेयक दोनों में अब ऐसे प्रावधान जोड़े जा रहे हैं, जिनसे पिछली अवधि के टैक्स (Retrospective Taxation) की भी संभावना बन रही है। यानी अगर आपने पहले विदेशी एक्सचेंजों पर बिना TDS चुकाए ट्रेड किया है, तो उन पुराने लेन-देन पर भी टैक्स और जुर्माने की कार्रवाई हो सकती है भले ही आपको उस समय नियमों की जानकारी न रही हो।

अब बिना रेगुलेशन वाले विदेशी क्रिप्टो ट्रेडिंग का समय खत्म हो रहा है। जो लोग अब तक यह मानकर चल रहे थे कि वे टैक्स नियमों की पकड़ में नहीं आएंगे, उन्हें अब अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिए। जैसे-जैसे कानूनी छूट के रास्ते बंद हो रहे हैं और CARF जैसे अंतरराष्ट्रीय ढांचे डेटा साझा करने में सक्षम हो रहे हैं, टैक्स चोरी या अनदेखी करना सीधे तौर पर कानूनी कार्रवाई की वजह बन सकता है।

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