नई दिल्ली, 27 नवंबर 2024:
प्रसिद्ध वैश्विक शांति कार्यकर्ता और प्रजा शांति पार्टी के संस्थापक डॉ. के.ए. पॉल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी जनहित याचिका (PIL) खारिज किए जाने पर गहरी निराशा व्यक्त की। यह याचिका चुनावी प्रक्रिया, धार्मिक प्रशासन और भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों की सुरक्षा को लेकर सुधार की मांग कर रही थी। डॉ. पॉल ने इस याचिका पर खुद बहस की, लेकिन कोर्ट ने इसे कुछ ही मिनटों में खारिज कर दिया और सुनवाई का पूरा अवसर नहीं दिया।
याचिका की प्रमुख मांगें:
- चुनावी सुधार:
डॉ. पॉल ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के स्थान पर मतपत्र (बैलट पेपर) के उपयोग की मांग की। उन्होंने कहा, “दुनिया के 197 में से 180 देश, जिनमें 50 यूरोपीय देश और अमेरिका भी शामिल हैं, मतपत्र से चुनाव कराते हैं। फिर भारत ईवीएम पर क्यों निर्भर है, जो छेड़छाड़ योग्य है?” उन्होंने इस संदर्भ में एलन मस्क, वाईएस जगन मोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू द्वारा ईवीएम पर उठाए गए सवालों का भी जिक्र किया। - धार्मिक प्रशासन में सुधार:
डॉ. पॉल ने मांग की कि तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे हिंदू मंदिरों का प्रबंधन हिंदू पुजारियों को सौंपा जाए, जैसे चर्च का संचालन पादरी और मस्जिद का संचालन मौलवी करते हैं। उन्होंने तिरुपति बालाजी मंदिर की अनुमानित संपत्ति ₹4 लाख करोड़ बताई और आरोप लगाया कि मंदिर प्रशासन और धन का राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है। - विधायकों की दलबदल पर कार्रवाई:
डॉ. पॉल ने निर्वाचित विधायकों द्वारा दलबदल पर चिंता जताई और 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल विरोधी कानून के सख्त पालन की मांग की। उन्होंने तेलंगाना में कई विधायकों के व्यक्तिगत लाभ के लिए दल बदलने के मामलों को उजागर किया।
सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी
डॉ. पॉल ने अपनी याचिका खारिज किए जाने पर आश्चर्य और नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के उल्लंघन की बात करने वाली मेरी याचिका को बिना पर्याप्त सुनवाई के खारिज कर दिया गया। लोकतंत्र में न्यायपालिका आखिरी उम्मीद है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुझे अपनी बात रखने का अवसर ही नहीं दिया। यह न्याय का बड़ा अपमान है।”
चुनाव सुधार की जरूरत पर जोर
डॉ. पॉल ने भारत में चुनावी पारदर्शिता के लिए वैश्विक मानकों को अपनाने की मांग की। उन्होंने कहा, “अमेरिका, कनाडा और यूरोप के ज्यादातर देश पारदर्शिता के लिए मतपत्र का इस्तेमाल करते हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।”
धार्मिक समानता पर विचार
मंदिर प्रशासन को लेकर चल रहे विवादों पर बोलते हुए डॉ. पॉल ने कहा, “हिंदू पुजारियों को भी चर्च के पादरियों और मस्जिद के मौलवियों की तरह अपने धार्मिक स्थलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। तिरुपति बालाजी, जो वैटिकन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है, को विशेष क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। यह मंदिर 1 अरब हिंदुओं का है, इसे राजनेताओं के नियंत्रण में क्यों रखा गया है?”
न्याय और जवाबदेही की मांग
डॉ. पॉल ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “भारतीय न्यायपालिका का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है, उन्हें सुनवाई से वंचित करना नहीं। अगर आज महात्मा गांधी या डॉ. बी.आर. अंबेडकर इस अन्याय को देखते, तो वे क्या कहते?” उन्होंने संविधान दिवस पर संविधान के सम्मान में कमी को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
देश और विश्व से अपील
честные казино с быстрыми выплатами
бездепозитные бонусы казино
играть в лучшем казино на деньги
база казино с бездепозитным бонусом
онлайн казино России
casino oyunu
डॉ. पॉल ने कहा, “भारत का लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। पूरी दुनिया हमें देख रही है कि हम न्याय और समानता के आदर्शों से कैसे भटक रहे हैं। मैं सभी भारतीयों, अंतरराष्ट्रीय नेताओं और वैश्विक मीडिया से अपील करता हूं कि वे हमारे लोकतंत्र की रक्षा के लिए मेरा साथ दें।”
उन्होंने नागरिकों से न्यायपालिका और लोकतंत्र के लिए प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, “हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर हमें और हमारे अधिकारों की रक्षा करें।”