अयोध्या, 5 सितंबर:
अयोध्या में 8वें ” भारतात्मा अशोक सिंहल वेद पुरस्कार समारोह ” 2024 का भव्य आयोजन हुआ। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उदयपुर स्थित सिंहल फाउंडेशन द्वारा स्वर्गीय अशोकजी सिंहल की स्मृति में स्थापित किया गया है, जो वेदों के प्रचार और संरक्षण के प्रति समर्पित थे। वेदों के लिए यह देश का पहला राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार है, जो उत्कृष्ट वेद विद्यार्थी, आदर्श वेद अध्यापक और उत्तम वेद विद्यालय को सम्मानित करता है। इस समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
विजेताओं का सम्मान
ब्रह्मर्षि विष्णु भट्टल सुब्रह्मण्य शास्त्री को ‘भारतात्मा वेदार्पित जीवन’ सम्मान से पुरस्कृत किया गया। पुरस्कृत श्री शास्त्री ने कहा, “वेद हमें हमारे जीवन के हर एक चरण में मार्गदर्शन करते हैं और हमें ज्ञान का प्रकाश प्रदान करते हैं। इसलिए, वेदों द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान और बुद्धिमत्ता को प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
समारोह में भीलवाड़ा के नारायण लाल शर्मा को ‘उत्कृष्ट वेद विद्यार्थी’, आर. राजमौली को ‘आदर्श वेद अध्यापक’, और काशी स्थित आचार्य गोपालचंद्र मिश्र वैदिक उन्नयन संस्थान को ‘उत्तम वेद विद्यालय’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हर श्रेणी के विजेता को प्रमाणपत्र के साथ नकद राशि प्रदान की गई।
आदर्श वेद अध्यापक श्री आर. राजमौली ने कहा, “वेदों में निहित ज्ञान हर युग और काल में प्रासंगिक है, वे हमें आत्मिक, मानसिक और सामाजिक जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन करते हैं।”
मुख्य अतिथि के उद्गार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदरणीय
श्री अशोक जी सिंहल के योगदान को याद करते हुए कहा, “अशोक सिंहल जी की प्रतिबद्धता भारत और सनातन धर्म की रक्षा के प्रति अद्वितीय थी। आज जो भव्य राम मंदिर अयोध्या में साकार हो रहा है, उसमें उनका योगदान अमूल्य है।” उन्होंने आगे कहा, “भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत और संस्कृति में निहित है, और यही हमारे देश की आत्मा है। आज जब दुनिया शांति और सद्भाव के लिए भारत की ओर देखती है, तो यह गुरुकुलों और वेद परंपरा के महत्व को दर्शाता है।”
सिंहल फाउंडेशन का योगदान
सिंहल फाउंडेशन के संस्थापक सिलल सिंहल ने समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वर्गीय अशोक सिंहल के जीवन और उनके कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “अशोकजी ने जीवनभर वेदों और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य किया। इस पुरस्कार की स्थापना उनके इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए की गई है।”
समारोह के दौरान रामजन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने अशोक सिंहल को याद करते हुए बताया कि उन्होंने इस पुरस्कार को ‘भारतात्मा’ नाम दिया, क्योंकि उनके दिल और आत्मा में सदैव भारत बसा रहा। उन्होंने आगे कहा, “अशोक सिंघल ने अपना जीवनकाल वेद, भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा के उत्थान में समर्पित किया था। उनका विश्वास था कि भारत की तरक्की तब ही संभव है तब हम अपने वेदों और भारतीय भाषाओं का बढ़ावा दें। अशोक जी भारत माता के सच्चे सपूत थे जिनकी याद में आज हम यहां इकठ्ठा हुए हैं।”
समापन
समारोह का समापन सिंहल फाउंडेशन के न्यासी संजय सिंहल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
यह पुरस्कार समारोह वेदों के प्रचार और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हर वर्ष इन क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित करता है।