गलत जानकारी और कलंक सबसे बड़ा खतरा, जानें गर्भपात से जुड़े सच

एमटीपी एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 24 हफ्तों तक गर्भपात पूरी तरह कानूनी है।

JA Bureau | Published: August 30, 2025 18:46 IST, Updated: August 30, 2025 18:46 IST
गलत जानकारी और कलंक सबसे बड़ा खतरा, जानें गर्भपात से जुड़े सच

नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025

अनचाही और अवांछित गर्भावस्था की स्थितियां अक्सर डर, शर्म और गलतफहमियों से जुड़ी होती हैं, जिसके कारण कई महिलाएं असुरक्षित और हानिकारक कदम उठा लेती हैं। इस विषय पर बात करते हुए सोनोलॉजिस्ट और डॉ. रुपाली एबॉर्शन सेंटर की संस्थापक डॉ. रुपाली मिश्रा ने बताया कि भारत में गर्भपात और अनचाही गर्भावस्था को लेकर कई तरह के मिथक और संदेह फैले हुए हैं, जिन्हें सही तथ्यों से दूर करना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने इस दौरान महिलाओं को गुमराह करने वाले कुछ आम भ्रांतियों का उल्लेख किया।

सबसे बड़ा मिथक यह है कि भारत में गर्भपात गैरकानूनी है। हकीकत यह है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट, 1971 और संशोधित नियमों के तहत, साथ ही 2022 में आए ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, भारत में सभी महिलाओं को 24 हफ्तों तक गर्भपात कराने का कानूनी अधिकार है। एक और आम भ्रांति यह है कि गर्भपात के लिए पति या माता-पिता की अनुमति जरूरी होती है। डॉ. मिश्रा ने साफ किया कि कोई भी वयस्क महिला 24 हफ्तों तक स्वयं निर्णय लेकर गर्भपात करवा सकती है।

उन्होंने यह भी चेताया कि मेडिकल शॉप से दवाइयां खरीदकर गर्भपात करना गैरकानूनी और खतरनाक है। गर्भपात की दवाइयां केवल पंजीकृत अस्पतालों से और योग्य चिकित्सकों की देखरेख में ही ली जानी चाहिए। इसी तरह घरेलू नुस्खों से गर्भपात कराने की कोशिश बेहद जोखिमभरी हो सकती है, जिससे संक्रमण, अधिक रक्तस्राव, अधूरा गर्भपात और भविष्य में बांझपन जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। डॉ. मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि गर्भपात की गोलियां लेने से पहले अल्ट्रासाउंड कराना आवश्यक है, ताकि गर्भ की स्थिति की पुष्टि की जा सके और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी जैसी जटिलताओं से बचा जा सके।

साथ ही उन्होंने यह मिथक भी तोड़ा कि सक्शन पद्धति सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजीकृत केन्द्रों पर योग्य चिकित्सकों द्वारा किया गया सक्शन गर्भपात पूरी तरह सुरक्षित और दर्दरहित प्रक्रिया है। अंत में डॉ. मिश्रा ने ज़ोर देकर कहा कि सबसे बड़ी समस्या गलत जानकारी और सामाजिक कलंक है। हर महिला को सुरक्षित, कानूनी और गोपनीय गर्भपात का अधिकार है और सही जानकारी ही उनके स्वास्थ्य और गरिमा की रक्षा कर सकती है।