दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार का मामला: इंस्पेक्टर पर रिश्वतखोरी, धमकियों और पक्षपात का गंभीर आरोप

प्रणव गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई, इंस्पेक्टर गणपति महाराज पर ₹45 लाख रिश्वत मांगने और ग्रेटर कैलाश-1 मामले में पक्षपात का आरोप

admin | Published: September 16, 2025 23:12 IST, Updated: September 16, 2025 23:12 IST
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार का मामला: इंस्पेक्टर पर रिश्वतखोरी, धमकियों और पक्षपात का गंभीर आरोप

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्रेटर कैलाश-1 के निवासी प्रणव गुप्ता ने दक्षिणी जिले की दिल्ली जांच इकाई (डीआईयू) के इंस्पेक्टर गणपति महाराज पर ₹45 लाख की रिश्वत मांगने, धमकियां देने और पक्षपातपूर्ण जांच करने का गंभीर आरोप लगाया है। पुलिस आयुक्त को भेजी गई ईमेल शिकायत में गुप्ता ने कॉल लॉग, समय और बार-बार दबाव बनाने की रणनीतियों का ब्योरा दिया है। शिकायत के अनुसार, इंस्पेक्टर ने ₹25 लाख सीधे मांगें और दक्षिणी जिले के डीसीपी अंकित चौहान के नाम पर अतिरिक्त ₹20 लाख की राशि मांगी।

गुप्ता का कहना है कि 16 अगस्त 2025 को उनकी पत्नी द्वारा ग्रेटर कैलाश-1 पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR नंबर 215/2025 की जांच के दौरान इंस्पेक्टर महाराज ने रिश्वत की मांग की और धमकाया कि पैसे न देने पर मामला उनकी पत्नी के पक्ष में मोड़ा जा सकता है। गुप्ता के इनकार करने पर धमकियों और उत्पीड़न का सिलसिला शुरू हुआ। 17 अगस्त से 13 सितंबर 2025 तक, इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर बार-बार व्हाट्सएप कॉल किए और “सेटलमेंट” के लिए दबाव बनाया। गुप्ता ने कॉल की तारीखों और समय का हवाला देते हुए कहा, “ये कॉल मुझे मानसिक रूप से परेशान करने और मांगी गई रकम देने के लिए मजबूर करने के लिए थे।”

गुप्ता ने आरोप लगाया कि उनके ससुर, राकेश गुप्ता, ने जांच को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि राकेश ने कथित तौर पर इंस्पेक्टर महाराज सहित पुलिस अधिकारियों से सीधा संपर्क रखा ताकि जांच उनकी बेटी के पक्ष में हो। गुप्ता का कहना है कि उन्हें और उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां दी गईं।

उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पत्नी ने पहले तलाक का मुकदमा, फिर घरेलू हिंसा की शिकायत और बाद में धारा 498ए और 406 के तहत झूठे आरोप लगाए। गुप्ता के अनुसार, इन कार्रवाइयों का मकसद बड़ी रकम की उगाही है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी ने पुलिस शिकायतों में महत्वपूर्ण कानूनी विवरण छिपाए, जिन्हें बिना सत्यापन के FIR में बदला गया, जिससे निष्पक्ष मध्यस्थता असंभव हो गई। उनका परिवार लगातार मानसिक, शारीरिक और वित्तीय दबाव का सामना कर रहा है।

यह मामला अदालत तक भी पहुंच चुका है। 2 अगस्त 2025 को सभी छह आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी और उन्हें जबरन कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण मिल गया। फिर भी, गुप्ता का आरोप है कि इंस्पेक्टर महाराज ने अदालत के आदेश की भावना का उल्लंघन करते हुए “सेटलमेंट” के लिए दबाव बनाना जारी रखा।

गुप्ता ने इंस्पेक्टर महाराज को मामले से हटाने और व्हाट्सएप कॉल लॉग व संचार की जांच की मांग की है। उन्होंने क्राइम अगेंस्ट वुमन (CAW) सेल और डीआईयू साउथ डिस्ट्रिक्ट के शिकायतों, FIR और लंबित मामलों के आंकड़ों में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाया, यह तर्क देते हुए कि इनका खुलासा सिस्टम की खामियों को उजागर कर सकता है।

ये आरोप दिल्ली पुलिस की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाते हैं। कॉल रिकॉर्ड, शिकायत का ब्योरा और अदालती समय-सीमा जैसे साक्ष्य गहन जांच की मांग करते हैं। विभाग का इस मामले में निर्णायक कार्रवाई करना या इसे ठंडे बस्ते में डालना उसकी सत्यनिष्ठा का इम्तिहान होगा।

यह मामला प्राणव गुप्ता और उनके परिवार की सुरक्षा का है, जिसमें उनके दो निर्दोष बच्चे भी शामिल हैं जिनकी उन्हें कानूनी हिरासत प्राप्त है, जबकि पुलिस बल के लिए यह जनता के विश्वास और अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने का मुद्दा है।