विकसित भारत में कृषि विज्ञान केन्द्रों की अहम भूमिका: आईसीएआर उप महानिदेशक

विकसित भारत में जलवायु परिवर्तन और कृषि में युवाओं की भागीदारी पर राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

JA Bureau | Published: January 23, 2025 14:24 IST, Updated: January 23, 2025 14:25 IST
विकसित भारत में कृषि विज्ञान केन्द्रों की अहम भूमिका: आईसीएआर उप महानिदेशक

23 जनवरी 2025

आईसीएआर- अटारी पटना जोन की मेजबानी में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का बुधवार को शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला का उद्घाटन आईसीएआर के कृषि प्रसार उप महानिदेशक डॉ. यू.एस. गौतम और बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने संयुक्त रूप से किया। पटना के बामेती सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में देशभर के 100 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. गौतम ने कहा, “भारत में 52% ग्रामीण युवा आबादी है और ‘आर्या (ARYA) परियोजना’ के माध्यम से आईसीएआर उन्हें कृषि एवं कृषिगत व्यवसाय से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। 2016 में शुरू की गई इस परियोजना के तहत ग्रामीण युवाओं को गांवों में ही आय के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य है, ताकि उन्हें शहरों की ओर पलायन न करना पड़े। इस दिशा में कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जा रही है।”

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए मल्टी-लेयर इनकम जनरेशन सिस्टम विकसित किया जा रहा है। किसानों को आधुनिक खेती के साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गीपालन जैसे व्यवसायों से जोड़ा जा रहा है, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।

विकसित भारत में कृषि विज्ञान केन्द्रों की अहम भूमिका: आईसीएआर उप महानिदेशक

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डॉ. गौतम ने यह भी जानकारी दी कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के रिक्त पदों को भरने और उनकी जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए नई नीति तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में कृषि विज्ञान केन्द्र अहम भूमिका निभाएंगे।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कृषि जीडीपी का 30% हिस्सा पशुपालन और मत्स्य पालन से आता है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। डेयरी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। बिहार में काॅम्फेड के द्वारा प्रतिदिन 50 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण के लिए आधारभूत संरचना तैयार की गई है। राज्य में दूध का कुल उत्पादन इससे कहीं अधिक है। 2022-23 में दूध का कुल उत्पादन लगभग 125 लाख मेट्रिक टन था।”

उन्होंने युवाओं को कृषि क्षेत्र में सही दिशा, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया और एग्रीप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

आईसीएआर- अटारी पटना जोन के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार ने स्वागत भाषण दिया, जबकि कृषि विशेषज्ञ राकेश कश्यप ने मंच संचालन किया। आईसीएआर, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केशव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

कार्यशाला में आईसीएआर कृषि प्रसार के सहायक महानिदेशक डॉ. आर.के. सिंह, पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास, अटारी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मोनोब्रुल्लाह और अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

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