प्रमुख वित्तीय संस्थाओं ने क्रिप्टो जोखिमों को लेकर दी चेतावनी, त्वरित नियामक कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2025

वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में कई बड़े बदलाव ला रहे हैं। इनके विकेंद्रीकरण, प्रोग्रामेबिलिटी, और तेज़ लेन-देन ने दुनिया को एक नई दिशा दी है। लेकिन साथ ही, इसके साथ जुड़े जोखिम भी बढ़ गए हैं। प्रमुख संस्थाओं जैसे IMF, FSB और IOSCO ने बार-बार चेतावनी दी है कि क्रिप्टो यदि सही तरीके से नियंत्रित न किया गया, तो यह वित्तीय अस्थिरता का कारण बन सकता है।

क्रिप्टो बाजार की अस्थिरता से निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है। ये बाजार अत्यधिक मूल्य उतार-चढ़ाव, सट्टा व्यापार, और सीमित तरलता के कारण जोखिम में हैं। जहां एक ओर यह निवेशकों को भारी मुनाफा दे सकता है, वहीं दूसरी ओर अचानक गिरावट से उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा, जैसे-जैसे क्रिप्टो और पारंपरिक वित्तीय संस्थाओं के बीच संबंध बढ़ रहा है, एक बड़ी गिरावट पूरे वित्तीय सिस्टम को अस्थिर कर सकती है।

वहीं सुरक्षा खामियां भी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बनी हुई हैं। साइबर हमले, तकनीकी गलतियां, और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में बग जैसी समस्याएं क्रिप्टो बाजार को असुरक्षित बना रही हैं। इसके अलावा, डॉलर समर्थित स्थिर मुद्राओं का बढ़ता प्रभाव स्थानीय मुद्राओं की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है, जिससे केंद्रीय बैंकों का नियंत्रण कमजोर हो सकता है।

इसके साथ ही धोखाधड़ी और घोटालों की घटनाएं भी बढ़ी हैं। BitConnect, GainBitcoin, Dekado, और CoinEGG जैसे घोटाले निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर चल रहे स्कैम्स और फ़िशिंग हमलों से आम निवेशक लगातार शिकार हो रहे हैं।

इस बीच, भारत सरकार भी अपनी क्रिप्टो नीति पर पुनर्विचार कर रही है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने हाल ही एक कार्यक्रम में बताया कि सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ एक चर्चा पत्र तैयार किया था, लेकिन वैश्विक क्रिप्टो परिदृश्य में बदलाव के कारण इसे पुनः मूल्यांकन किया जा रहा है।

वैश्विक नियामकों जैसे IMF, FSB, और IOSCO ने क्रिप्टो पर एक संयुक्त रोडमैप और नए मानक जारी किए हैं। भारत को अब इस दिशा में तेजी से कदम उठाने होंगे, ताकि क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स साइबर सुरक्षा, नियमित ऑडिट, और निवेशकों की सुरक्षा का ध्यान रखें।

अगर भारत जल्द ही इस दिशा में काम करता है, तो वह न केवल अपनी वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित रख पाएगा, बल्कि वैश्विक क्रिप्टो विकास में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

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