“संत चावरा कुरियाकोस एलियास: भारत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसेवकों के लिए प्रेरणा का स्रोत – डॉ. शशि थरूर”

“संत चावरा कुरियाकोस एलियास: भारत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसेवकों के लिए प्रेरणा का स्रोत – डॉ. शशि थरूर”

नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2024:
चावरा सांस्कृतिक केंद्र ने बुधवार शाम दिल्ली के श्री सत्य साई ऑडिटोरियम, लोधी रोड में चावरा लेक्चर सीरीज का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में सांसद डॉ. शशि थरूर समेत कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में सांसद कोडिकुन्नील सुरेश, एन.के. प्रेमचंद्रन, बेनी बेहनन, एंटो एंटनी, के. राधाकृष्णन, फ्रांसिस जॉर्ज, जोस के. मणि, डीन कुरियाकोस और हिबी ईडन, केरल सरकार के दिल्ली प्रतिनिधि के.वी. थॉमस, और सीबीसीआई के उप महासचिव फादर मैथ्यू कोयिक्कल शामिल थे।

कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान, डॉ. शशि थरूर ने संत चावरा कुरियाकोस एलियास के सामाजिक सुधार और शिक्षा क्षेत्र में किए गए अद्वितीय योगदानों की सराहना की। उन्होंने कहा, “संत चावरा ने समाज के वंचित और हाशिए पर खड़े लोगों के उत्थान और शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसेवकों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने भारत की आज़ादी से भी एक सदी पहले कई क्रांतिकारी सामाजिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए, जो आज भी अनुकरणीय हैं।

डॉ. थरूर ने संत चावरा के प्रगतिशील और समावेशी दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी सोच आज के समय में भी प्रासंगिक है। उन्होंने संत चावरा के शैक्षणिक योगदानों की सराहना की, जिनमें चर्च परिसरों में (स्कूल) की स्थापना, शिक्षकों को पहली बार वेतन पर नियुक्त करना, और बच्चों के लिए मुफ्त मध्याह्न भोजन की शुरुआत शामिल है। उन्होंने कहा, इन पहलों ने शिक्षा और सामाजिक कल्याण को नई दिशा दी और भारत के प्रमुख समाज सुधारकों से बहुत पहले यह मिसाल पेश की।

इस वर्ष लेक्चर सीरीज का विषय “शिक्षा: सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक—संत कुरियाकोस एलियास चावरा, सतत विकास का एक मॉडल” था। यह विषय उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के बीच चर्चा का मुख्य केंद्र रहा।

कार्यक्रम में चावरा सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फादर डॉ. रॉबी कन्ननजिरा सीएमआई, दिल्ली आर्चडायसिस के सहायक बिशप दीपक वलेरियन टॉरो, और दीपिका अखबार के सहयोगी संपादक जॉर्ज कल्लीवायलिल ने भी सभा को संबोधित किया।

यह आयोजन संत चावरा की शिक्षाओं और उनके द्वारा किए गए समाज सुधार के कार्यों की विरासत को समर्पित था। उनकी दूरदर्शी सोच और मानवीय मूल्यों पर आधारित सतत विकास का मॉडल आज भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता है।

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