सुप्रीम कोर्ट सख्त: ऑनलाइन सट्टेबाज़ी पर केंद्र को नोटिस, डॉ. के. ए. पॉल की जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

“ये ऐप्स कोई खेल नहीं, जाल हैं” – कोर्ट और याचिकाकर्ता दोनों गंभीर
नई दिल्ली , 23 May, 2025 :
देश में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी की बढ़ती लत और उससे होने वाले सामाजिक नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गंभीर रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। यह नोटिस ईसाई धर्म प्रचारक व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. के. ए. पॉल की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर जारी किया गया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाज़ी प्लेटफॉर्म्स पर अपनी स्पष्ट नीति कोर्ट के समक्ष रखनी होगी। कोर्ट ने संकेत दिए कि आवश्यकता पड़ने पर राज्यों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल रहे हैं सट्टेबाज़ी ऐप्स: डॉ. पॉल
कोर्ट में खुद पेश हुए डॉ. पॉल ने बताया कि सट्टेबाज़ी ऐप्स ने देश में युवाओं को कर्ज और आत्महत्या की स्थिति तक पहुंचा दिया है। उन्होंने अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के उल्लंघन का हवाला देते हुए कहा कि इन ऐप्स ने सामाजिक ताना-बाना तोड़ा है। तेलंगाना सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1,000 से अधिक लोगों ने सट्टेबाज़ी से जुड़े कर्ज़ की वजह से आत्महत्या की है।
डॉ. पॉल ने कोर्ट को बताया कि करीब 30 करोड़ भारतीय इन ऐप्स के निशाने पर हैं और इनका प्रचार 1,100 से अधिक सेलेब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कर रहे हैं। उन्होंने खुलासा किया कि तेलंगाना पुलिस ने 23 मार्च 2025 को 25 बॉलीवुड कलाकारों और इन्फ्लुएंसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
सुप्रीमकोर्ट की सख्त टिप्पणी:
“सैद्धांतिक रूप से हम आपसे सहमत हैं—इस पर रोक लगनी चाहिए। लेकिन शायद आप इस भ्रांति में हैं कि इसे कानून बनाकर पूरी तरह रोका जा सकता है। जैसे हत्या को कानून के बावजूद नहीं रोक सके, वैसे ही यह भी पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो सकता।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीएल जैसे क्रिकेट टूर्नामेंटों के दौरान सट्टेबाज़ी का बोलबाला होता है और इसे गेमिंग या पुरस्कार आधारित गतिविधियों के नाम पर प्रस्तुत किया जाता है। शीर्ष अदालत ने फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए केंद्र से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
गूगल-प्ले और ऐपल स्टोर से हटाने की मांग
डॉ. पॉल ने तर्क दिया कि सट्टेबाज़ी ऐप्स पर कोई स्वास्थ्य चेतावनी नहीं होती, जबकि सिगरेट जैसे उत्पादों पर यह अनिवार्य है। उन्होंने गूगल प्ले और ऐपल ऐप स्टोर से ऐसे ऐप्स को हटाने की मांग की है।

विदेशी संचालकों पर जांच की मांग
याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्रीय कानून की अनुपस्थिति में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां VPN के ज़रिए भारत में धड़ल्ले से काम कर रही हैं। उन्होंने संसद से एक सख्त कानून लाने की मांग की और ED व CBI से विदेशी संचालकों पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने की अपील की।
सुनवाई के बाद डॉ. पॉल का बयान:
“आज का दिन करोड़ों माता-पिता, युवाओं और परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है। ये ऐप्स कोई खेल नहीं, जाल हैं। सेलेब्रिटी पैसे लेकर झूठी उम्मीद बेच रहे हैं। अगर अब भी कार्रवाई नहीं की गई, तो बहुत देर हो जाएगी।”
प्रमुख मांगें:
- देशभर में सट्टेबाज़ी ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध
- इनका प्रचार करने वाले सेलेब्रिटी पर कड़ी रोक
- ED और CBI द्वारा विदेशी ऑपरेटर्स पर जांच
- संसद में व्यापक केंद्रीय कानून लाने की अपील
डॉ. पॉल ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी हस्तक्षेप की यह कहते हुए अपील की, कि—“यह सिर्फ युवाओं का नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र का भविष्य है।”
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