स्वतंत्रता दिवस 2024: दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने झंडा फहराने के लिए दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत को नामित किया
नई दिल्ली, 13 अगस्त 2024
दिल्ली के स्वतंत्रता दिवस समारोह के आयोजन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इस वर्ष, दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडा फहराएंगे। इस निर्णय को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा मंजूरी दी गई है। इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंत्री आतिशी को झंडा फहराने के लिए नामित किया था, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने इस पर रोक लगा दी। इस घटना ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में नई बहस और विवाद को जन्म दिया है।
उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद कैलाश गहलोत का नाम तय
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडा फहराने के लिए दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत के नाम की अनुशंसा की है। कैलाश गहलोत, जो दिल्ली के परिवहन मंत्री भी हैं, अब छत्रसाल स्टेडियम में ध्वजारोहण करेंगे। यह आयोजन मुख्य रूप से दिल्ली पुलिस और गृह विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है। उपराज्यपाल की ओर से इस निर्णय की पुष्टि के बाद, गहलोत को समारोह के लिए अधिकृत किया गया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से आतिशी का नाम तय
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने के लिए आतिशी का नाम प्रस्तावित किया था। आतिशी, जो कि दिल्ली सरकार की मंत्री हैं, को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया था। हालांकि, सामान्य प्रशासन विभाग ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और इसके बाद उपराज्यपाल ने गहलोत के नाम की अनुशंसा की। सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि जेल में बंद मुख्यमंत्री के तहत किसी भी मंत्री को झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर विचार करते हुए, गहलोत को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया।
आतिशी का उपराज्यपाल पर निशाना
आतिशी ने सामान्य प्रशासन विभाग के निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और उपराज्यपाल पर निशाना साधा है। आतिशी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “15 अगस्त को हम देश की आजादी का जश्न मनाते हैं और आम लोगों की आवाज को बुलंद करते हैं। 1947 से पहले, हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था और वे अपनी मर्जी से शासन करते थे। आज, जब दिल्ली की चुनी हुई सरकार को झंडा फहराने से रोका जा रहा है, तो ऐसा लगता है कि दिल्ली में नए वायसराय आ गए हैं।”
आतिशी ने आगे कहा, “उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार को झंडा फहराने से रोक रहे हैं। इससे बड़ी तानाशाही और क्या हो सकती है? अब हमें देखना होगा कि बीजेपी लोकतंत्र के साथ है या तानाशाही के साथ खड़ी है।” आतिशी की इस टिप्पणी ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति में एक नई बहस को जन्म दिया है, जो स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान उठे इस विवाद को लेकर विरोध और समर्थन की आवाजें पैदा कर रही है।
दिल्ली में विवाद और प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम ने दिल्ली में राजनीतिक हलकों में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। जहां एक ओर उपराज्यपाल की ओर से गहलोत के नाम की अनुशंसा ने प्रशासनिक फैसले को स्पष्ट किया है, वहीं दूसरी ओर, दिल्ली सरकार और उनकी समर्थक पार्टियों का मानना है कि यह एक राजनीतिक कदम है और इससे लोकतंत्र की मूल बातें प्रभावित हो रही हैं।
छात्रसाल स्टेडियम में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह की इस नई योजना ने न केवल दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई बहस को जन्म दे सकता है कि कैसे स्वतंत्रता दिवस पर समारोह आयोजित किए जाते हैं और इसमें प्रशासनिक हस्तक्षेप का क्या स्थान होता है।
इस विवाद के बीच, यह देखना होगा कि आगामी दिनों में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच इस मुद्दे पर क्या और प्रतिक्रियाएँ सामने आती हैं और इस पूरे घटनाक्रम के राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।